ना ख़ुशी खरीद पाता ना गम बेच पाता हूँ,
फिर भी ना जाने मै क्यों हर रोज कमाने जाता हूँ..
दोस्तों एक गरीब इंसान का दिल इस कदर टूट जाता है की वो अपने जिन्दगी से हतास हो जाता है जाता है इतनी बड़ी दुनिया में वहा अपने आपको बिलकुल अकेला पता है ,उसे कही भी कोई साहारा नहीं मिलता ,नासूर सी लगती है जिन्दगी.
वो हर रोज अपने परिवार के लिये ख़ुशी खरीदने जाता है पर वो अपने लोगो के लिए कड़ी मेहनत करने के बाद भी उनकी छोटी छोटी जरूरतों को भी पूरा कर नहीं पाता ,ना हि उनके जिन्दगी से गम का एक तिनका भी कम नहीं होता है ..
तभी एक हतास परेशां इंसान कहता है इतना कुछ करने के बाद भी अगर मै मेरे अपनों की जरूरतों को पूरा क्र नहीं पा रहा गम हि गम है तो मेरे काम करने का क्या फ़ायदा कड़ी मेहनत करके भी कुछ नहीं मिलता ……