एक अजीब दास्तां हैं,मेरे अफ़साने की,

एक अजीब दास्तां हैं,मेरे अफ़साने की,
मैंने पल पल की कोशिश,उसके पास जाने की,
नसीब थे मेरी या साजिश जमाने की,
दुर हुई मुझसे उतनी,जितनी उम्मीद थी करीब आने की।

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