बदल के हम इस दुनिया को क्या बदलेगे,
जब गलती हमने की है,
मौका गया है अभी गुजर क्युकी प्रकृति,
से हमने पंग्गा ली है,
आत्मा उसकी फट गयी है,
गिन गिन के बदला लेगी ,
अभी तो दे रही है घाव, बादमे इसे कुरेदेगी.
कोरोना पर हिन्दी शायरी

बदल के हम इस दुनिया को क्या बदलेगे,
जब गलती हमने की है,
मौका गया है अभी गुजर क्युकी प्रकृति,
से हमने पंग्गा ली है,
आत्मा उसकी फट गयी है,
गिन गिन के बदला लेगी ,
अभी तो दे रही है घाव, बादमे इसे कुरेदेगी.